राग देसी

स्वर लिपि

स्वर आरोह में गंधार, धैवत वर्ज्य। अवरोह में निषाद वर्ज्य। गंधार, निषाद कोमल। शेष शुद्ध स्वर।
जाति औढव - षाढव वक्र
थाट काफी
वादी/संवादी पंचम/षड्ज
समय दिन का प्रथम प्रहर
विश्रांति स्थान सा; रे; प; - सा; प; रे;
मुख्य अंग रे म प ; ध म प सा' ; सा' प ध म प ; रे ग१ सा रे ,नि१ सा;
आरोह-अवरोह सा रे म प नि१ सा' - सा' प ध म प रे ग१ सा रे ,नि१ सा;

विशेष - यह स्वर संगतियाँ राग देसी का रूप दर्शाती हैं -

रे म प ध ; म प ; रे ग१ ; सा रे ; ,नि१ सा


राग देसी की बन्दिशें - ये बन्दिशें आचार्य विश्वनाथ राव रिंगे 'तनरंग' द्वारा रचित हैं, और उनकी पुस्तक 'आचार्य तनरंग की बन्दिशें भाग २' में प्रकाशित की गयीं हैं । इस पुस्तक में 31 रागों की कुल 405 बन्दिशें और एक Audio CD है। इस पुस्तक को खरीदने के लिये कृपया हमें सम्पर्क करें

1 सादरा - आंगनवा झारुँ चौक पुराऊँ
ताल - झपताल (मध्य लय)
गायक - श्री प्रकाश विश्वनाथ रिंगे
2 ख्याल (मध्य-लय) - गोविन्द की बेनु
ताल - झपताल (मध्य लय)
गायक - श्री प्रकाश विश्वनाथ रिंगे
3 छोटा ख्याल - जियरा तरसे री मोरी गुईयाँ
ताल - त्रिताल
गायक - श्री प्रकाश विश्वनाथ रिंगे
4 छोटा ख्याल - कदर मोरी रे ना जानी
ताल - त्रिताल
गायक - श्री प्रकाश विश्वनाथ रिंगे
5 छोटा ख्याल - कलना आये री मैको
ताल - त्रिताल
गायक - श्री प्रकाश विश्वनाथ रिंगे
6 छोटा ख्याल - मोहे अब घर को जाने दे
ताल - एकताल द्रुत
गायक - श्री प्रकाश विश्वनाथ रिंगे
7 सरगम - रे म प ध म प
ताल - एकताल द्रुत
गायक - श्री प्रकाश विश्वनाथ रिंगे