राग सरस्वती

स्वर लिपि

स्वर आरोह में गंधार व निषाद वर्ज्य, अवरोह में गंधार वर्ज्य। मध्यम तीव्र, निषाद कोमल। शेष शुद्ध स्वर।
जाति औढव - षाढव
थाट कल्याण
वादी/संवादी पंचम/रिषभ
समय रात्रि का द्वितीय प्रहर
विश्रांति स्थान रे; प; सा'; - ध; प; रे;
मुख्य अंग रे म् प ध नि१ ध ; प म् ध प ; म् रे म् प ; ध सा' नि१ ध;
आरोह-अवरोह सा रे म् प ध सा' - सा' नि१ ध प म् प म् रे सा ,नि१ ,ध सा;

विशेष - इस माधुर्य से परिपूर्ण राग को कर्नाटक संगीत पद्धति से हिंदुस्तानी संगीत में लाया गया है। राग सरस्वती में पंचम-रिषभ संगती राग वाचक है। मध्यम तीव्र का एक महत्वपूर्ण स्थान है। कोमल निषाद का प्रयोग ऐसे किया जाता है - रे म् प ध सा' नि१ ध ; म् प नि१ ध ; रे म् प सा' नि१ ध ; प म् ध प (म्)रे ,नि१ ,ध सा। यह स्वर संगतियाँ राग सरस्वती का रूप दर्शाती हैं -

रे रे म् म् प ; रे म् प ध नि१ ध ; प ; ध सा' रे' ; नि१ नि१ ध प ; ध प म् प ; म् रे ; रे म् प ; म् नि१ ध प ; म् प म् रे ; सा रे ,नि१ ,ध सा ; सा रे म् प रे म् प ; ध सा' नि१ ध ; म् प (म्)रे ; सा रे ,नि१ ,ध सा;

कुछ संगीतकार इस राग में आरोह में कोमल निषाद का उपयोग करते हुए इसकी जाती को षाढव-षाढव मानते हैं।


राग सरस्वती की बन्दिशें - ये बन्दिशें आचार्य विश्वनाथ राव रिंगे 'तनरंग' द्वारा रचित हैं और भविष्य में उनकी अगली पुस्तक में प्रकाशित की जाएंगी। अधिक जानकारी के लिये कृपया हमें सम्पर्क करें


1
बडा ख्याल - जागे मेरे भाग पिया पाये तनरंग गोपाल
ताल - एकताल विलम्बित
प्रसंग - श्रृंगार रस
2
बडा ख्याल - बरसाने की राधिका
ताल - एकताल विलम्बित
प्रसंग - श्री राधा
3
बड़ा ख्याल - सादरा - मोरे घर आये बालम रसिया
ताल - झपताल विलम्बित
प्रसंग - श्रृंगार रस
4
छोटा ख्याल - बलमा जाने ना मन की बिथा
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - विरह रस
5
छोटा ख्याल - देवी शारदा संगीत कला
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - माँ सरस्वती
6
छोटा ख्याल - जा रे जा रे कगवा जा रे
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - विरह रस
7
छोटा ख्याल - माँ सरस्वती शारदा देवी
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - माँ सरस्वती
8
छोटा ख्याल - सघन बन में मुरला नाचे
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - वर्षा ऋतु
9
छोटा ख्याल - उलझ गए नैन तनरंग सों
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - श्रृंगार रस
10
छोटा ख्याल - बतियाँ बनाओ ना झूठी
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - रूठना मनाना
11
छोटा ख्याल - झिमक झरने जल धार झरावें
ताल - त्रिताल द्रुत
प्रसंग - विरह रस
12
सरगम - नि ध नि ध प म
ताल - एकताल द्रुत